10 साल के बेटे का फैसला, अब मां की चिता की राख मिलाकर लगाऊंगा

चार दिन पहले हलालपुर के पास लाे-फ्लाेर बस से उतरने के दाैरान हुए हादसे में घायल हुई दिशा छवानी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उन्हें हमीदिया में भर्ती कराया गया था। दिशा काे शनिवार सुबह डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घाेषित कर दिया था, सड़क हादसे में उनके लिवर और किडनी सहित दूसरे अंग भी क्षतिग्रस्त हाे गए थे। इसके चलते नेत्रदान ही हो पाया था। मां के अंगदान करने का फैसला दिशा के 10 के साल बेटे मयंक छवानी का था।


अब उसने मां की चिता की राख मिट्‌टी में मिलाकर पौधे लगाने का निर्णय लिया है। बच्चे का यह साहसिक निर्णय देखकर सिन्धी समाज उत्थान पंचायत, विजय नगर के अध्यक्ष आनंद सबधाणी का कहना है कि समाज के अन्य लोगों ने भी इस राख का इस्तेमाल पौधे लगाने में करने का फैसला लिया है। उनका कहना है कि मयंक यहां पर नीम, पीपल और तुलसी के 10 पाैधे लगाएगा।


25 जनवरी को लिया था मां के अंगों को दान करने का फैसला 


10 साल की उम्र में मयंक ने अपनी ब्रेन डेड मां के अंगदान करने का निर्णय शनिवार को लिया था। मयंक ने कहा- मां के अंगों से कई लोगों को नया जीवन मिलेगा। मरने के बाद भी मां उसे देख सकेंगी। बता दें कि मयंक के पिता की मौत 7 साल पहले हो गई थी।